“तजुर्बा बता रहा हूँ दोस्तदर्द,ग़म,डर जो भी है बस तेरे अंदर हैखुद के बनाए पिंजरे से निकल के देखतू भी एक सिकंदर है”
जब भक्ति भोजन में मिलती है, तो प्रसाद बन जाता है,
जब पानी में मिलती है, तो चरणामृत बन जाता है,
जब घर में मिलती है, तो मंदिर बन जाता है,
जब व्यक्ति में मिल जाता, तो वह भक्त बन जाता है।
ईश्वर कहते हैं उदास न हो,
मैं तेरे साथ हूँ, सामने नहीं आस पास हूँ,
पलकों को बंद कर और दिल से यादकर,
में कोई और नहीं, तेरा विश्वास हूँ।
यकीन और दुआ नज़र नहीं आते मगर,
नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं।
ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते
इसलिए उन्होंने माँ को बनाया