बेवज़ह की बातों में उलझ जाता हूं,वक़्त की रेत पर फिसल जाता हूं lमुझे मेरी खबर कहाँ रहती है अब,क्योंकि मैं अब उसके दिल में रहता हूं l
चंदन की लकड़ी फूलों का हार,अगस्त का महीना सावन की फुहार,भैया की कलाई बहन का प्यार,मुबारक हो आपको रक्षा-बंधनका त्यौहार।
Dekhi hotho ki hasi zakham na dekhe dil ka,
aap bhi oron ki tarha kha gae dhokha keishe!
Din Me Deepak Jalane Se Kya Hoga ,
Raakh Me Aag Lagane Se Kya Hoga,
Jab Aapko Aati Hi Nahi Hamari Yaad,
Toh Phir Yaad Dilane Se Kya Hoga?
हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की,और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की,शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है,क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की!