“वफादारी की बात सांप किआ नहीं करते वफादारी की बात सांप किआ नहीं करते,क्या कहा आपने, “मोहब्बत”अरे भाई,हम ऐसे पाप किया नहीं करते…”
“वफादारी की बात सांप किआ नहीं करते वफादारी की बात सांप किआ नहीं करते,
क्या कहा आपने, “मोहब्बत”अरे भाई,
हम ऐसे पाप किया नहीं करते…”
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर हैं
जिसका अधिक प्रयोग करोगे वो उभरती व निखरती जायगी
सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ताकोई और दिखाए जा रहा था और वो थे मेरे पापा….
सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ता
कोई और दिखाए जा रहा था और वो थे मेरे पापा….
आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती,
तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती.
अहंकार” और “संस्कार” में फ़र्क़ है…
“अहंकार” दूसरों को झुकाकर कर खुश होता है,
“संस्कार” स्वयं झुककर खुश होता है..!