Suruaat Se Dekhne Ki Aadat He Hume..Chahe Vo Film Ho Ya Dushman Ki Barbadi..
देखकर मेरी आँखें एक फकीर कहने लगा,
पलकें तुम्हारी नाज़ुक है,
खवाबों का वज़न कम कीजिये...!
मुहमाँगा दाम दूंगा यारों
मुझे इक ऐसे काबिल
सपेरे से मिलवा दो …
कि जो आस्तीन में छुपे
साँपों को बाहर निकाल सके
सहस शील हृदय में भर देजीवन त्याग से भर दे,संयम सत्य स्नेह का वर देमाँ सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर दे!
बंदा नहीं है कोई टक्कर
का आज की तारीख में,
इसीलिए लफ्ज कम पड़
जाते है हमारी तारीफ़ में..!!