कोरा कागज़ था और कुछ बिखरे हुए लफ़्ज़,
ज़िक्र तेरा आया तो सारा कागज़ गुलाबी हो गया
तुम इक घड़ी, इक पल, इक लम्हा..मेरे साथ बिताने का वादा तो करो..मैं हँस कर कई साल, कई सदियाँ...कई जिंदगी तुम्हारा इंतजार कर लूँगा.!!
प्यार दिल में होना चाहिए लफ्जों में नहीं
और
नाराजगी लफ्जों में होनी चाहिए दिल में नहीं
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा ???
दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है !!!
एक फूल अजीब था,
कभी हमारे भी बहुत करीब था,
जब हम चाहने लगे उसे,
तो पता चला वो किसी दूसरे का नसीब था ।