कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा
पुरे खत में सिर्फ कान्हा कान्हा नाम लिखा
बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँ,लेकिन मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे है..
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।
तुम समझ लेना बेवफा मुझको, मै तुम्हे मगरूर मान लूँगा
ये वजह अच्छी होगी , एक दूसरे को भूल जाने के लिये
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.