हमने अपनी यादों के बागीचे में
तेरी यादों के पौधे को सींच कर रख रखा था
पर आप हमे अपनी यादों के बगीचे में
लगी गंदी घास समझ कर भूल गये।
Kya pata uski zuban se bhi izhar nikle,
Kya pata unke dil me bhi pyar nikle,
Sach hai uske bina ji nahi sakte hum,
Kya pata uske dil se bhi yahi baat nikle.
किसी को क्या बताये की कितने मजबूर हू ,
चाहा था सिर्फ एक तुमको और तुमसे ही दूर हू .
काश कोई हम पर भी इतना प्यार जताती,
पीछे से आकर वो हमारी आँखों को छुपाती,
हम पूछते की कौन हो आप …??
और वो मुस्करा कर खुदको हमारी जान बताती.
तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,
दिल मेरा था और धड़क रहा था वो,प्यार का तालुक भी अजीब होता है,आंसू मेरे थे सिसक रहा था वो..
शायरी मे सिमटते कहाँ हैँ दिल के दर्द दोस्तों
बहला रहे हैँ खुद को जरा कागजो के साथ