उनकी चाहत में हम कुछ यूँ बँधे हैवो साथ भी नही और हम अकेले भीनही !
उनकी चाहत में हम कुछ यूँ बँधे है
वो साथ भी नही और हम अकेले भी
नही !
हर रात को तुम इतना
याद आते हो के हम भूल गए हैं,
के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं,
या तुम्हारी यादों के लिए
इश्क की शुरुआत निगाहों से होती है
सजा की शुरुआत गुनाहों से होती है
कहते हैं इश्क भी एक गुनाह है
जिसकी शुरुआत दो बेगुनाहों से होती है
“देर रत जब किसी की याद सताए,
ठंडी हवा जब जुल्फों को सहलाये.
कर लो आंखे बंद और सो जाओ क्या पता,
जिसका है ख्याल वो खवाबों में आ जाये.”
भरोसा क्या करना गैरों पर,जब गिरना और चलना है अपने ही पैरों पर।