उनकी चाहत में हम कुछ यूँ बँधे हैवो साथ भी नही और हम अकेले भीनही !
उनकी चाहत में हम कुछ यूँ बँधे है
वो साथ भी नही और हम अकेले भी
नही !
तुझको खुदा ने रुक-रुक बनाया,
पूरी ज़माने की खुदाई तुझ में ही भर दी,
हर अंग तेरा जैसे ,
रह-रह तू बरसे सावन महीना…
बडी लम्बी खामोशी से गुजरा हूँ मै,किसी से कुछ कहने की कोशिश मे।
तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम,मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।
जिस्म से होने वाली मोहब्बत का इज़हार आसान होता है
रूह से हुई मोहब्बत समझने में ज़िन्दगी गुजर जाती है