चिरागों को आंखों में महफूज रखना,बड़ी दूर तक रात ही रात होगी,मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी,किसी मोड़ पर, फिर मुलाकात होगी।
चिरागों को आंखों में महफूज रखना,
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी,
मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी,
किसी मोड़ पर, फिर मुलाकात होगी।
Akele hai to kya hua,Ye zindgi bhi guzar jayegi….
Hum apni tanhai mitane ke liye kisi ko majbur nahi karte…
ना चाँद की चाहत
ना सितारों की फरमाइश
हर जन्म में तू मिले
मेरी बस यही ख्वाहिश
तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।
इंसानी जिस्म में सैंकड़ों हैवान देखे हैं,
मैंने दिल में रंजिश रख महफ़िल में आये मेहमान देखे हैं|”