मेरी मंज़िल मेरे करीब है इसका मुझे एहसास हैगुमान नहीं मुझे इरदों पे अपनेये मेरी सोच अौर हौंसलों का भी विश्वास है
मेरी मंज़िल मेरे करीब है इसका मुझे एहसास है
गुमान नहीं मुझे इरदों पे अपने
ये मेरी सोच अौर हौंसलों का भी विश्वास है
पहली मुलाकात में ये ऐसा हुआ अहसास,
उनके मुहब्बत के दो शब्द थे बहुत खास.
आखिरी मुलाकात में कुछ कहना ही था उनसे,
हम सोचते ही रह गए की गुजर गया साल.
HAPPY NEW YEAR 2021
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.
मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से ना पढ़ा करो दोस्तों,
कुछ याद रह गया तो.. मुझे भूल नहीं पाओगे!
वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है,कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है.जो मुझे तुझसे जुदा करती है,हाथ की उस लकीर से डर लगता है!