जिस्मों से खेलने वाला मोहब्बत क्या करेगा,
वो गुनाहों का देवता है, इबादत क्या करेगा…
चलो आज खामोश प्यार को इक नाम दे दें,अपनी मुहब्बत को इक प्यारा अंज़ाम दे देंइससे पहले कहीं रूठ न जाएँ मौसम अपनेधड़कते हुए अरमानों एक सुरमई शाम दे दें !
“इन हसीनो से तो कफ़न अच्छा है,
जो मरते दम तक साथ जाता है,
ये तो जिंदा लोगो से मुह मोड़ लेती हैं,
कफ़न तो मुर्दों से भी लिपट जाता है.”
नादान इनकी बातो का एतबार ना कर,भूलकर भी इन जालिमो से प्यार ना कर,वो क़यामत तलक तेरे पास ना आयेंगे,इनके आने का नादान तू इन्तजार ना कर!
तुमको देखूं तो मुझे प्यार बहोत आता है
ज़िंदगी इतनी हसीन पहले तो नही लगती थी