अब तो कुछ भी चाहने से भी डर लगता है मुझको क्योंकि, जो भी चाहा आज तक मुझे वो हमेशा ही नहीं मिला,गुस्सा मुझे इस बात का नहीं है की जो सोचा वो नहीं मिला, बल्कि इस बात का है कि मैंने किसी को चाहा पर मुझे चाहने वाला नहीं मिला। 😠😓
अब तो कुछ भी चाहने से भी डर लगता है मुझको क्योंकि,
जो भी चाहा आज तक मुझे वो हमेशा ही नहीं मिला,
गुस्सा मुझे इस बात का नहीं है की जो सोचा वो नहीं मिला,
बल्कि इस बात का है कि मैंने किसी को चाहा पर मुझे चाहने वाला नहीं मिला। 😠😓
शायरी सर्दी की ठिठुरती रात में फुटपाथ पर अरमान है
दिलबर मुझे छोड़के किसी और पे मेहरबान है.....
“हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं।”
कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने सेऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से।
छू गया जब कभी ख्याल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा,
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में,
और घर देर तक महकता रहा।