जो मेरे जिस्म की चादर बना रहा बरसों…ना जाने क्यों वो मुझे बेलिबास छोड़ गया !!
आदत है या तलबइश्क है या चाहततू दिल मे है या साँसों मेतू दीवानगी है या मेरी आशिकीतू ज़िन्दगी है या फिर एक किस्सापर जो भी है सिर्फ तू है
Na Samajh Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,,
Qasam tumhari tumhen itna pyar karte hain..
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह..!
कुछ इस तरह से वफ़ा की मिसाल देता हूँ
सवाल करता है कोई तो टाल देता हूँ
उसी से खाता हूँ अक्सर फरेब मंजिल का
मैं जिसके पाँव से काँटा निकाल देता हु …