लिखूं कुछ आज यह वक़्त का तक़ाज़ा है,
मेरे दिल का दर्द अभी ताज़ा ताज़ा है,
गिर पड़ते हैं मेरे आँसू मेरे ही काग़ज़ पर
लगता है कलम में स्याही का दर्द ज़्यादा है!!
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
अगर आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और उसके बाद भी आपने अपने फोन में रोमांटिक गाने भर रखे है तो आप गज़ब वाले आशावादी इंसान है
तबाह होकर भी तबाही दिखती नही,ये इश्क़ है इसकी दवा कहीं बिकती नहीं।
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा,
बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा,
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा…
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा।