अपने हिस्से की जिंदगी तो हम जी चुके चुन्नी बाबू,
अब तो बस धडकनों का लिहाज़ करते हैं,
क्या कहें इन दुनिया वालों को जो,
आखिरी सांस पर भी ऐतराज़ करते हैं।
तेरे रुखसार पर ढले हैं
मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई
मोहब्बत की दुआ हो तुम।
चाँद तारो से रात जगमगाने लगी,
फूलों की खुश्बू से दुनिया महकने लगी,
सो जाइये रात हो गयी है काफ़ी,
निंदिया रानी भी आपको देखने है आने लगी
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।
छुपा लूं तुझको अपनी बाँहों में इस तरह,
कि हवा भी गुजरने की इजाज़त मांगे,
मदहोश हो जाऊं तेरे प्यार में इस तरह,
कि होश भी आने की इजाज़त मांगे।