ये मत पूछ के एहसास की शिद्दत क्या थी
धूप ऐसी थी के साए को भी जलते देखा
हम सिमटते गए उनमें और वो हमें भुलाते गए,
हम मरते गए उनकी बेरुखी से, और वो हमें आजमाते गए,
सोचा की मेरी बेपनाह मोहब्बत देखकर सीख लेंगी वफाएँ करना,
पर हम रोते गए और वो हमें खुशी खुशी रुलाते गए..
माना कि मोहब्बत की ये भी एक हकीकत है फिर भी,
जितना तुम बदले हो उतना भी नहीं बदला जाता।
वो साथ थी तो मानो जन्नत थी जिंदगी दोस्तों,
अब तो हर सांस जिंदा रहने कि वजह पूछती है।
Ulfat Mein Kabhi Yeh Haal Hota Hai;
Aankhen Hasti Hain Magar Dil Rota Hai;
Mante Hain Hum Jisse Manzil Apni;
Humsafar Uska Koi Aur Hota Hai!