सजा न दे मुझे बेक़सूर हूँ मैं,थाम ले मुझको ग़मों से चूर हूँ मैं,तेरी दूरी ने कर दिया है पागल मुझे,और लोग कहते हैं कि मगरूर हूँ मैं।
जिस जिसका मैं हुआ नहीं
उसकी जिंदगी सवर गयी
मैं राह देखता रहा जाने किसकी
और इन्ही राहों पे ये जिंदगी गुजर गयी
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।
तेरी नज़रों से ओझल हो जायेंगे हम ,दूर फ़िज़ाओं में कहीं खो जायेंगे हम ,हमारी यादों से लिपट कर रोते रहोगे ,जब ज़मीन की मट्टी में सो जायेंगे हम..
मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से