दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसी
ज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है
चौदहवीं रात के इस चाँद तलेसुरमई रात में साहिल के क़रीब दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
भूल जाएँ बीते हुए कल को,
दिन में बसा लो अपने आने वाले कल को,
मुस्कुराओ और खुश रहो चाहे जो भी हो,
हर पल खुशियाँ लेकर आएगा आपका आने वाला कल.
HAPPY NEW YEAR 2021
कुछ अल्फ़ाज़ की तरतीब से बनती है शायरी
कुछ चेहरे भी मुकम्मल ग़ज़ल हुआ करते हैं
रात है काफ़ी, ठंडी हवा चल रही है,
याद में आपकी किसी की मुस्कान खिल रही है,
उनके सपनो की दुनिया में आप खो जाओ,
आँख करो बंद ओर आराम से सो जाओ