ये वर्ष आपके लिए खुशियों का नगर हो,
क्या बखूबी हो हर एक खुशी आपकी अगर हो.
हर रात फुर्सत के नए गीत सुनाए,
लम्हों के लबों पे भी शबनम का असर हो.
मेरे दोस्तों ने इकट्ठा किया मेरे ही कत्ल का सामान,
मैंने उनसे कहा,
यारो तुम्हारी नफरत ही काफी थी मुझे मारने के लिए……
फिर वही फ़साना अफ़साना सुनाती हो
दिल के पास हूँ कह कर दिल जलती हो
बेक़रार है आतिश इ नज़र से मिलने को
तो फिर क्यों नहीं प्यार जताती हो…!!
उन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं.
Najroon Kii Juban Wo Samajh Nahii Paate..,
Honth Hamaare Kuch Keh Nahii Paate .
Dil Apni Majboorii Bataayee Kese.
Koi Hy Jin Kee Binaa Hum Reh Nahii Paate…