बेशक मेरे नजदीक मौत कामयाबी के सिवा कुछ नहीं है
और जालिम के साथ ज़िन्दगी गुजारना
जिल्लत के सिवा कुछ नहीं है
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए|
आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती,
तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती.
अज़ीज़ भी वो है, नसीब भी वो है ,
दुनिया की भीड़ में करीब भी वो है
उनकी दुआ से चलती है ज़िन्दगी
क्यों की खुदा भी वो है ,
और तक़दीर भी वो है ..!!
I Love you Papa..
चाहत तुम्हारी - रविवार की तरहहकीकत जिंदगी - सोमवार की तरह...!!