मुझे मालूम है तूमनें बहुत बरसातें देखी है,
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है…
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगो की तरह हम,वक़्त की टहनी पर हैं परिंदो की तरह हम।
कागज़ पे लिखी गज़ल, बकरी चबा गयी !
चर्चा पुरे शहर में हुई, की बकरी शेर खा गयी.
Wada Na Karo Agar Tum Nibha Na Sako,Chaho Na Usko Jise Tum Pa Na Sako,Dost To Duniya Me Bahot Hote Hai,Par Ek Khas Rakho Jiske Bina Tum Muskura Na Sako