इश्क करती हूँ तुझसे अपनी जिंदगी से ज्यादा,
मैं डरतीं हूँ मौत से नही तेरी जुदाई से ज्यादा,
चाहे तो हमे आज़मा कर देख किसी और से ज्यादा,
मेरी जिंदगी में कुछ नही तेरी आवाज़ से ज्यादा।
तालीम नहीं दी जाती
परिंदो को उड़ानों की……..
वह तो खुद ही समझ
जाते हैं उच्चै आसमानो की…
तुमसे ही रूठ कर तुम्ही को याद करते हैं
हमे तो ठीक से नाराज़ होना भी नही आता
दिल में क्या फूल खिला करते थे,
अपना घर सजाने की खातिर,
हम उसका नाम लिखा करते थे,
कल उसे देखा तो याद आया
हम भी कभी मोहब्बत किया करते थे!!
कागज़ पे लिखी गज़ल, बकरी चबा गयी !
चर्चा पुरे शहर में हुई, की बकरी शेर खा गयी.