मिठी रातो में धीरे से आ जाती है एक परी, कुछ ख़ुशी के सपने लाती है एक परी, कहती है के सपनों के सागर में डुब जाओ, भूल के सारे दर्द जल्दी सो जाओ… शुभ रात्रि!
बुराई को देखना और सुनना ही
बुराई की शुरुआत है
आहिस्ता आहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानों का……
कहीं सपनों से लोगों का ऐतबार ना उठ जाए..
मुस्कुराना एक कला है
जिसने इस कला को सीख लिया
वो जीवन में कभी दुखी हो ही नहीं सकता
सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ता
कोई और दिखाए जा रहा था और वो थे मेरे पापा….