ये वक़्त बेवक़्त मेरे ख्यालों
में आने की आदत छोड़ दो तुम,
कसूर तुम्हारा होता है और
लोग मुझे आवारा समझते हैं
रोज़ इक ताज़ा शेऱ कहां तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज़ ही एक नयी बात हुआ करती है…
😃😘😊😩😜😂😳😄😀😳
संता और बंता दोनों भाई एक
ही क्लास में पढ़ते थे।
अध्यापिका: तुम दोनों ने अपने पापा का नाम अलग-अलग क्यों लिखा?
संता: मैडम फिर आप कहोगे नक़ल मारी है, इसीलिए।
😃😛😛😛😂😂😂😆😆😆
तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम,मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।