कभी खामोशियाँ भी निशानिया छोड़ देती है !!
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.
तुम समझ लेना बेवफा मुझको, मै तुम्हे मगरूर मान लूँगा
ये वजह अच्छी होगी , एक दूसरे को भूल जाने के लिये
Tujh Se Nahi Waqt Se Naraz Hu Main
Jo Kabhi Tumko Mere Liye Nahi Milta…!!!
अब तुझे न सोचू तो, जिस्म टूटने-सा लगता है..
एक वक़्त गुजरा है तेरे नाम का नशा करते~करते !