Eid Mubarak...
ये वक्त की नजाकत हैबदलते दौर की मजबूरी है।लड़के को पराठेऔरलड़की को कराटेसिखाना बहुत जरूरी है।आत्म -निर्भर बनो.
पैसे से बिस्तर खरीदा जा सकता है, नींद नहीं
पैसे से महल खरीदा जा सकता है लेकिन खुशियाँ नहीं
बुराई को देखना और सुनना ही
बुराई की शुरुआत है
कभी शोख हैं,
कभी गुम सी है..
ये बारिशे भी तुम सी है..