बात वफ़ाओ की होती, तो कभी न हारते,
बात नसीब की थी, कुछ ना कर सके।
बरस रहे बादल आँखे रो रहीतन्हाई हर बात कह रहीजाये तो कहा जायेहर ओर गम की हवा चल रहीबड़ा अजीब मंजर है इश्क कामर चुका मानस मगर साँस चल रही
Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye
Main uske haathon ka khilona hi sahi;
kuch der ke liye hi sahi, usne mujhe chaha to hai..
वर्षों से दहलीज़ पर कड़ी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानो में धीरे से कहती है,
“सब अच्छा होगा”