टूटे हुए दिलो की जरुरत बहुत हैंवरना महफ़िल में रंग जमायेगा कौनजब टूटेगा ही नहीं दिल किसी कातो मयखाने में पीने आएगा कौन.
तूने रुख से नक़ाब क्या उठाया,
कम्बखत दिल मुँह को होने लगा,
शर्मा कर , सितारे हैं छुपने लगे,
महताब बादलों से जो निकलने लगा
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह..!
हमने अपनी यादों के बागीचे मेंतेरी यादों के पौधे को सींच कर रख रखा था पर आप हमे अपनी यादों के बगीचे में लगी गंदी घास समझ कर भूल गये।
हमने अपनी यादों के बागीचे में
तेरी यादों के पौधे को सींच कर रख रखा था
पर आप हमे अपनी यादों के बगीचे में
लगी गंदी घास समझ कर भूल गये।