Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye
तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो…
दोस्त
ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता…!!
Main Jo Chahu To Tod Du Naata Tumse
Par Mein Buzdil Hu
Maut Se Darr Lagta Hai …
जिंदगी एक सजासी हो गई है,
गम के सागर मे कुछ इस कदर खो गयी है,
तुम आजाओ वापिस ये गुजारिश है मेरी,
शायद मुझे तुम्हारी आदत सी हो गई है ।