दर्द मिन्नत-कशे- ✒ दवा न हुआ, मै न अच्छा हुआ बुरा न हुआ, जमा करते हो क्यों रकीबो को, एक तमाशा हुआ गिला न हुआ.
दर्द मिन्नत-कशे- ✒ दवा न हुआ,
मै न अच्छा हुआ बुरा न हुआ,
जमा करते हो क्यों रकीबो को,
एक तमाशा हुआ गिला न हुआ.
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.
Vo samjhta hai ki har shakhs badal jata hai…..
Ussey lagta hai zamana us ke jaisa hai….
Ruth jao kitna bhi mana lenge
Dur jao kitna bhi bula lenge
Dil aakhir dil he sagar ki ret to nahi
Ki naam likh kar usse mita denge