खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।डाक से आया है तो कुछ कहा होगा"कोई वादा नहीं... लेकिनदेखें कल वक्त क्या तहरीर करता है!"या कहा हो कि... "खाली हो चुकी हूँ मैंअब तुम्हें देने को बचा क्या है?"सामने रख के देखते हो जबसर पे लहराता शाख का सायाहाथ हिलाता है जाने क्यों?कह रहा हो शायद वो..."धूप से उठके दूर छाँव में बैठो!"सामने रौशनी के रख के देखो तोसूखे पानी की कुछ लकीरें बहती हैं"इक ज़मीं दोज़ दरया, याद हो शायदशहरे मोहनजोदरो से गुज़रता था!"उसने भी वक्त के हवाले सेउसमें कोई इशारा रखा हो... याउसने शायद तुम्हारा खत पाकरसिर्फ इतना कहा कि, लाजवाब हूँ मैं!
खुदा की फुर्सत में एक पल आया होगा,
जब उसने तुझ जैसा प्यारा इंसान बनाया होगा,
न जाने कौन से दुआ कुबूल हुई हमारी,
जो उसने मुझे तुझसे मिलाया होगा
“दर्द को दर्द से न देखो,
दर्द को भी दर्द होता है,
दर्द को ज़रूरत है दोस्त की,
आखिर दोस्त ही दर्द में हमदर्द होता है”
प्यार का इजहार नही किया जाता,
इकरार किये बगैर जो दिल को छू जाये,
वो ही तो प्यार है!!