आ बिछड़ने का कोई और तरीका ढूंढें
प्यार बढ़ता है मेरी जां खफा रहने से
बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
रस्मे उल्फत को निभाए तो निभाए कैसे,हरतरफ आग है ,दामन को बचाए कैसे।बोझ होता जो गमों का तो उठा भी लेते,जिंदगी बोझ बनी तो फिर उठाए कैसे।
अगर तुमसे कोई पूछे बताओ ज़िन्दगी क्या है,हथेली पर जरा सी राख़ रखना और उड़ा देना।