इंसानियत तो हमने "ब्लड बैंक" से सीखी है साहब,जहाँ बोतलों पर "मजहब" नहीं लिखा जाता|
किसान के पास पैसे कम हो सकते हैं और बहुत सारी समस्याएँ भी हो सकती हैं पर वो स्वस्थ होता हैं और रात में चैन से सोता हैं.
अनाज दिन ब दिन महंगा होता जा रहा है, लेकिन उसे उपजाने वाला किसान गरीब होता जा रहा है।
मैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून पर
निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर.
किसान सबसे सुखी हो सकता हैं यदि वो शिक्षित हो जाएँ..
ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं
जब भक्ति भोजन में मिलती है, तो प्रसाद बन जाता है,
जब पानी में मिलती है, तो चरणामृत बन जाता है,
जब घर में मिलती है, तो मंदिर बन जाता है,
जब व्यक्ति में मिल जाता, तो वह भक्त बन जाता है।
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर हैं
जिसका अधिक प्रयोग करोगे वो उभरती व निखरती जायगी