संता – भाई आज तो गज़ब हो गया
बंता – लॉटरी लग गयी क्या पाजी
संता – ओये नहीं मैं बस में बैठा था
तभी एक आदमी आया और साले ने
फोन में राष्ट्रगान चला दिया
बंता – फिर ?
संता – फिर क्या राष्ट्रगान सुनते ही
मैं खड़ा हो गया और
वो कमीना मेरी सीट पर बैठ गया
पतलू (फोन पर) - ओए मोटू तेरा रेस्टोरेन्ट कैसा चल रहा है ?
मोटू: कोई खास नहीं।
पतलू : वैसे मैं दो-तीन बार तेरे रेस्टोरेन्ट आया, पर वहां पे ताला लगा हुआ था। इसलिए फिर में घर चला गया।
मोटू : यार तू लंच या डीनर के टाईम आया होगा, उस टाईम हम लोग खाना खाने घर जाते है।
चाहत तुम्हारी - रविवार की तरहहकीकत जिंदगी - सोमवार की तरह...!!
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब, ये घड़ी भी सर्दियों में,
5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है