अगर "कुबूल कुबूल कुबूल" बोलने से शादी हो जाती है और "तलाक़ तलाक़ तलाक़" बोलने से तलाक़ हो जाती है तो "मरजा मरजा मरजा" भी काम करना चाहिए...
चाहत तुम्हारी - रविवार की तरहहकीकत जिंदगी - सोमवार की तरह...!!
न मेरा एक होगा , न तेरा लाख होगा,
तारिफ तेरी ,न मेरा मजाक होगा,
गुरुर न कर शाह-ए-शरीर का,
मेरा भी खाक होगा , तेरा भी खाक होगा
याददाश्त की दवा बताने में सारी दुनिया लगी है !!!…
तुमसे बन सके तो तुम हमें भूलने की दवा बता दो…!!!
यूं तो तेरी महफिल में हमे चाहने वालो की कमी नहीं,पर हम तुझे चाहने में कोई खता करें ये भी तो हमें गवारा नही।