पिलाने वाले कुछ तो पिला दिया होता,
शराब कम थी तो पानी मिला दिया होता! ?
फिर वही फ़साना अफ़साना सुनाती हो
दिल के पास हूँ कह कर दिल जलती हो
बेक़रार है आतिश इ नज़र से मिलने को
तो फिर क्यों नहीं प्यार जताती हो…!!
तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम
इश्क़ वही है जो हो एकतरफा हो
इज़हार-ऐ-इश्क़ तो ख्वाहिश बन जाती है
है अगर मोहब्बत तो आँखों में पढ़ लो ज़ुबान से इज़हार तो नुमाइश बन जाती है
उन को चाहना मेरी मोहब्बत है उन्हें कह न पाना मेरी मजबूरी है वो खुद क्यों नही समझता मेरे दिल की बात को क्या प्यार का इज़हार करना ज़रूरी है