अगर भरोसा उपरवाले पर है,
तो लिखा तक़दीर में है वही पाओगे,
मगर भरोसा अगर खुद पर है,
वाही पाओगे जो आप चाहते हो।
उम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाये,
मंजिल ऐसी ही जो जीना सिखलाये,
जीना ऐसा हो जो रिश्तों की कदर करे,
रिश्ते ऐसे हों जो याद करने को मजबूर करें।
जो लोग दूसरों का भला सोचते हैं
केवल उन्हीं का जीवन सफल है,
अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं
वर्षों से दहलीज़ पर कड़ी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानो में धीरे से कहती है,
“सब अच्छा होगा”