मत ढूढ़ना मुझे इस जहाँ की तन्हाई में,
ठण्ड बहुत हैं मैं हूँ अपनी रजाई में.
हर कामयाबी पर आपका नाम हो,
आपके हर क़दम पर सफलता का मुकाम हो,
ध्यान रखना, ठण्ड आ गयी हैं,
मैं नही चाहता आपको जुकाम हो.
हवा का झोंका आया तेरी खुशबू साथ लाया,
मैं समझ गया की तू आज फिर नहीं नहाया।
हैप्पी विंटर
समझ में नही आता, सारी रात गुजर जाती हैं,
रजाई में हवा किधर से घुस जाती हैं.
इंसान से इंसान इतना जल रहा है,
फिर क्यों इतना ठण्ड लग रहा है?