बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब, ये घड़ी भी सर्दियों में,
5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है
इस बरसाती ठण्ड के मौसम में रजाई के अंदर रहना ही श्रेष्ठ कर्म है
और टमाटर की चटनी के साथ पकोड़े, चाय मिलना मोक्ष की प्राप्ति..
ऐ सर्दी इतना न इतरा
अगर हिम्मत है तो जून में आ...
सभी दोस्तो से एक request है कि ठंड मे मत पियो
वरना कही पी के कही पड़े रह गये तो…
लोग होश मे लाने के लिए
एक बालटी पानी डाल के नहला देगे भाई….
पलट दूँगा सारी दुनिया मैं ए खुदा !!
बस रजाई में से निकलने की ताकत दे दे..!!