जो मेरे शहर में तेरा दर हो तो मेरी फकीरी ही क्या है,
दुनिया मिल जाए तू न मिले तो मेरी अमीरी ही क्या है!
शहर की सड़कों पर तो दहशत बसती है,
मेरे गाँव की गलियाँ आज भी नज़ाकत भरी हैं!
उनके शहर से गुजर रहे हैं…
क्या बताएं क्या गुजर रही है!
यादों का शहर देखो बिल्कुल वीरान हैं,
दूर-दूर तक न जंगल, न कोई मकान हैं.
गाँव में रहने वाले इतराते नहीं हैं,
शहर में जीने वाले हकीकत बताते नहीं हैं.
शहर की यहीं जिन्दगी हैं,
अब तो हवाओं में भी गंदगी हैं.