न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा,हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा…!!
ज़िंदगी के इस सफर में रिश्तों का बोझ जितना कम हो,
सफर उतना आसान हो जाता है।
"सफर में हूँ मंज़िल आँखों में ये,बसा
अभी अरमान मेरे अधूरे से है।"
ये भी है कि मंजिल तक पहुंचे नहीं हैं हम,
ऐसा भी नहीं है कि सफर ख़त्म हो गया।
जूते महंगे हैं अब पर छोटा सा सफर है,
एक तरफ ऑफिस, दूसरी तरफ घर है।
यू ही हाथ थाम मेरा साथ निभाना,
जिंदगी का सफर संग है तेरे बिताना।