मुझे छोड़कर वो खुश है तो शिकायत कैसी,
अब मैं उन्हें खुश भी ना देखूं तो मोहब्बत कैसी !
क्या ज़रूरत थी दूर जाने की,
पास रहकर भी तो तड़पा सकते थे.
“कभी मिले फुर्सत तो इतना जरूर बताना
वो कौन सी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे न दे सके।”
करोगे क्या जो कह दूं की उदास हूं मैं
पास होउ तो गले लगा लूं
दूर हूं तो एहसास हूँ में
काश एक दिन ऐसा भी आए;
वक़्त का पल पल थम जाए;
सामने बस तुम ही रहो;
और उमर गुज़र जाए.
यूँ न कहो कि क़िस्मत की बात है,मेरी तन्हाई में कुछ तुम्हारा भी हाथ है।