सब्र रखो सनम, जो नसीब में है,वो वक़्त आने पे मिल ही जायगा।
सब्र, फिक्र, मोहब्बत सब किया मेने,
बदले में सुनने को क्या मिला मुझे,
तुमने किया ही क्या है मेरे लिए।
ख़ामोशी में खुद हज़ारो सवाल है,सब्र में ही छिपा हर जवाब है।
सब्र इतना रखो की इश्क़ बेहूदा ना बनेखुदा मेहबूब बन जाए पर महबूब खुदा ना बने
यही तो फितरत है इंसान की
मोहब्बत ना मिले तो
सब्र नहीं कर पाते
और मिल जाए तो
उसकी कदर नहीं कर पाते
मालूम होता है भूल गए हो शायद
या फिर कमाल का सब्र रखते हो