कहाँ से लाऊं वो हिम्मते मासूमियत के दिन ।
जिसे लोग कहा करते थे बच्चा है जाने दो ।।
उसने बड़ी मासूमियत से पूछा।
शायरी लिखते हो तो.. मोहब्बत तो जरूर की होगी
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर,
तेरे सामने आने से ज्यादा, तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है!
आज उसकी मासूमियत के कायल हो गए,
सिर्फ उसकी एक नजर से ही घायल हो गए।
वक़्त ने सिख दी हमें होशियारी की,वरना हम तो मासूमियत की हद्द तक मासूम थे