तू चेहरे की बढ़ती सिलवटों की परवाह न कर…
हम लिखेंगे अपनी शायरी में हमेशा जवाँ तुझको!
यूं न रखो चेहरे पर
इतना सादापन,
दिल आवारगी का
बहाना न ढूंढ ले।
खूबसूरत गज़ल जैसा है तेरा चाँद सा चेहरा,
निगाहे शेर पढ़ती हैं तो लब इरशाद करते है !!
आज भी तेरा चेहरा मासूम है,
आज भी मेरी लिए बस यही एक सुकून है।
तेरी बिखरी जुल्फों के बीच जब चेहरा तुम्हारा दिखता है,
ऐसा लगता है मानो घने बादलों के पीछे से चांद नजर आता है।
मेरी हर एक मंज़िल को राहा मिल जाये,
तेरा चेहरा जब नज़र आये.