चेहरा उसका बोहोत ही खूबसूरत है, एक नूर से जदया सुरूर है,
मासूम इतना है की क्या बताये अब हर मुलाकात में वो लगती हूर है.
कितने चेहरे थे हमारे आस-पास तुम हि तुम दिल में मगर बसते रहे..!!
यही चेहरा..यही आंखें..यही रंगत निकले, जब कोई ख्वाब तराशूं..तेरी सूरत निकले..
ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा ये झील सी नीली आँखे, कोई राज है इन में गहरा तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया
आँखें खुली हो तो चेहरा आपका हो, आँखें बध हो तो सपना आपका हो, हमे मौत का ना दर्र ना ख़ौफ्फ होगा, अगर कफ़न की जगह दुपट्टा आपका हो !