कहानी रज़ा मुराद की

Story of Raza Murad

बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर और दमदार विलेन रज़ा मुराद ने अपने फ़िल्मी करियर में बतौर एक्टर, सपोर्टिंग एक्टर और मुख्य विलेन 250 से ज़्यादा फ़िल्मों में नज़र आये. 80 और 90 के दशक की फ़िल्मों में इन्होंने बतौर एक्टर काम किया हैं. दमदार अभिनय और आवाज़ के बल पर इन्होंने बॉलीवुड में अपना एक अलग मुक़ाम बनाया हैं. अपने समय के सभी विलेन के साथ इन्होंने बतौर सपोर्टिंग विलेन या सेकेंड लीड विलेन काम किया हैं. फिर चाहे वो अमरीश पुरी हो, प्रेम चोपड़ा हो या फिर हो बैड मैन गुलशन ग्रोवर.


जन्म, परिवार और एजुकेशन 

रज़ा मुराद का जन्म 23 नवंबर 1950 को मुंबई में हुआ. इनके वालिद मुराद हिंदी सिनेमा के बेहतरीन करैक्टर आर्टिस्ट थे और मशहूर एक्ट्रेस ज़ीनत अमान इनकी बहन हैं.  इनकी पढ़ाई मुंबई और भोपाल में हुई और जब इनके पिता जी ने देखा की उनका बीटा भी फ़िल्मों में जाना चाहता हैं तो उन्होंने उसे समझाया कि बेटा तुम FTII पुणे से पहले फ़िल्म और सिनेमा का विधिवत पढ़ाई करके आओ और इसके बाद ये पुणे चले गए. 


फ़िल्मी करियर और सफ़लता 

पुणे से पढ़ाई कम्पलीट करने के बाद ये वापस मुंबई में आ गए और बी आर इशारा ने अपनी फ़िल्म एक नज़र में बतौर सपोर्टिंग एक्टर कास्ट किया. जिसके लिए इन्हें एक मैगज़ीन ने अवॉर्ड दिया. गुलज़ार साहब ने एक नज़र में रज़ा मुराद की एक्टिंग देखने के बाद डायरेक्टर ऋषिकेश मुख़र्जी को इनका नाम उनकी फ़िल्म नमक हराम में शायर की भूमिका में कास्ट करने के लिए दिया. इस फ़िल्म में इनके साथ बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना साहब थे. फ़िल्म नमक हराम के लिए इन्हें ये कहा गया कि फ़िल्म के लिए तुम्हें एक जो कुत्ता पैजामा दिया जायेगा वही पहनोगे और फ़िल्म के अंत तक ऐसे ही रहोगे. जिस दिन तुम्हारा शूट होगा उस दिन तुम नहाओगे नहीं. 

फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही इनका रोल लोगों को पसंद आया लेकिन इसके बाद भी 7 तक इनका संघर्ष चलता रहा. इसके बाद एक दिन राजकपूर साहब ने अपने मैनेजर से कहा, तुम्हें ऋषिकेश मुखर्जीं की फ़िल्म नामक हराम में वो लड़का याद हैं जिसने शायर का किरदार निभाया था? जाओ उसे बुला कर लेकर आओ. तलाश शुरू हुई और रज़ा मुराद जब राजकपूर के सामने आये तो उन्होंने इन्हें फ़िल्म प्रेम रोग में बतौर विलेन कास्ट किया. 

इसके बाद इनके जीवन में टर्निग पॉइंट आ गया. ये इनकी पहली फ़िल्म थीं जिसमें ये बतौर विलेन नज़र आये थे. इसके बाद इन्हें बतौर विलेन हर फ़िल्म में कास्ट किया जाने लगा. 

रज़ा मुराद ने अपने करियर में हर एक्टर की फ़िल्म में बतौर विलेन नज़र आये. फिर वो अमिताभ बच्चन हो, ऋषि कपूर हो, सुन्नी देओल हो, नसीरुद्दीन शाह, अजय देवगन हो, गोविंदा हो या संजय दत्त. 

इन्होंने हिंदी के साथ साथ भोजपुरी फ़िल्मों में काम किया. 


रज़ा मुराद की चुंनिंदा फ़िल्में 

इन्होंने बतौर एक्टर और विलेन 250 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया जिसमें से कुछ चुंनिंदा फ़िल्में इस प्रकार हैं. 

  •  Prem Rog
  • Henna 
  • Ram Teri Ganga Maili
  •  Khud-daar
  • Ram Lakhan
  • Tridev
  • Pyar Ka Mandir
  • Aankhen
  • Mohra
  • Gupt
  • Khatron Ke Khiladi
  • Qatil
  • Toofan
  • Jaadugar
  • Kanoon Apna Apna
  • Bhrashtachar
  • Aag Ka Gola
  • Naag Nagin
  • Phool Aur Angaar
  • Insaniyat Ke Devta
  • Baaghi
  • Aankhen