दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था..!!
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं,
हमने क्या आसूं पिए की मौसम रो पड़े!
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,
ज्यादा भीगना मत..
अगर धूल गई सारी ग़लतफहमियां,
तो फिर बहुत याद आएंगे हम!!
मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में ना बैठोवो बरसो में कभी बरसे, यह बरसो से बरसती है|
कभी शोख हैं,
कभी गुम सी है..
ये बारिशे भी तुम सी है..