मिलावट है तेरे इश्क में इतर और शराब की,
कभी हम महेक जाते है कभी हम बहेक जाते हैं !
हम तस्लीम करते हैं,
हमें फुर्सत नहीं मिलती,
मगर ये भी ज़रा सोचो,
तुम्हें जब याद करते हैं,
ज़माना भूल जाते हैं|
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं
अब तू नहीं है दुनिया में,
हु अकेला वही खड़ा,
तू मुमताज़ तो बन गयी
मै रह गया निचे पड़ा!
गुलाब को भी कमल बना देते,
उसकी एक अदा पे कई ग़ज़ल बना देते…
कम्भख्त मरती नहीं मुझ पर लडकियां,
वरना लखनऊ में भी ताजमहल बना देते…
तौहीन ना कर शराब को कड़वा कह कर,
जिंदगी के तजुर्बे शराब से भी कड़वे होते है...
।। कहते है पीनेवाले मर जाते है जवानी में ।।
।। हमने तो बुजुर्गों को जवान होते देखा है मैखाने में ।