हजारो महफिल हैं लाखो के मेले हैं,
पर जहाँ तू नहीं वहाँ हम बिल्कुल अकेले हैं !
ये फूल ये खुशबू ये बहार !
तुमको मिले ये सब उपहार !!
आसमा के चाँद और सितारे !
इन सब से तुम करो सृंगार !!
तुम खुश रहों आवाद रहों……
खुशियों का हो ऐसी फुहार !
हमारी ऐसी दुआ हैं हजार !!
दामन तुम्हारा छोटा पर जाए !
जीवन में मिले तुम्हे इतना प्यार !
मैं अगर चाहु भी तो शायद ना लिख सकूं उन लफ़्ज़ों को
जिन्हे पढ़ कर तुम समझ सको की मुझे तुम से कितनी मोहब्बत है..!!
ये दबदबा,ये हुकुमत,ये नशा, ये दौलतें………
सब किरायदार है, घर बदलते रहते हैं……
चाँद तारो से रात जगमगाने लगी,
फूलों की खुश्बू से दुनिया महकने लगी,
सो जाइये रात हो गयी है काफ़ी,
निंदिया रानी भी आपको देखने है आने लगी